Tuesday, August 16, 2011

Yaadein!

यादें बन गयी है दुश्मन 
ले जाती है हमें उस मोड़ पर 
जहाँ दिल जाना ही नहीं चाहता 
याद आते है वह गुज़रे हुए दिन 

  जब तुम, तुम न थे और हम, हम नहीं
 बस एक अनजान चेहरा जिसकी हमें पहचान न थी!

 याद आता है वो लम्हा 
 जब नज़रें मिली थी, मन में बेचैनी थी
 और दिल में एक आवाज़ उठी 
 कहीं तुम वही तो नहीं ?

 याद आते है वो पल
वो पहली मुस्कराहट 
वो बातें वो मुलाकातें 
याद आते है वो दिन
 वो वादे और वो ईरादे

 ये यादें क्यूँ आती है
  हमें हर पल यूँ तडपाती है
  वक़्त गुज़र गया है पर बदला  कुछ नहीं
 जैसा कल था वैसा आज भी, सच है यही

 तुम, तुम नहीं हो और हम हम नहीं
 बस एक अनजान चेहरा जिसकी हमें पहचान नहीं !

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